जगह तुम्हारी ही खाली है ..

वो जो बालकोनी में सूनापन है ना
वो जो घर के कोने खाली से हैं ना
उनमें जगह तुम्हारी ही खाली है ..
वो जो बीच की दूरियां सी हैं ना
वो जो थोडी बहुत मजबूरियां सी हैं ना
उनमें याद तुम्हारी ही संभाली है ..

तुम नहीं हो तो
मैं कैसे तुमहे महसूस करती हूँ
तुम्हारी हथेलियों को ले अपनी हथेलियों में
बिलकुल तुम्हारी तरह तुमही से ड़रती हूँ ..
ऐसा क्या है कि तुम हो
फिर भी तुम नहीं हो ..
मुझे महसूस भी होता है
और एहसास भी अच्छे से
के तुम हो भी नहीं
फिर भी यहीं कहीं हो ..

कुछ ने कहा क्या पागलपन है
कुछ तो ये भी समझे
के मैने आपबीती लिखी ..
ये कारवा ज्जबातों का है जनाब
फिर कहानी मेरी रही
य़ा किसी और की दिखी ..

वो जो बाहों को देने वाला सहारा है ना
वो जो घर के आंगन की दहलीज है ना
उनमें जगह तुम्हारी ही खाली है ..
वो जो छोटी छोटी बातें हैं ना
वो जो बिन सोये कट जाती रातें हैं ना
उनमें याद तुम्हारी ही संभाली है ..

यूँ महसूस करवा कर खालीपन दे जाना
ये तो अच्छा नहीं होता
जब आओ तो वक्त लेकर आओ
वादा कर के फिर ना निभाना
ये तो अच्छा नहीं होता ..

वो जो य़ादों की ऐल्बम हैं ना
जो हमारी तस्वीर और अच्छी बनाती है
उनमें जगह तुम्हारी ही खाली है ..
वो जो मनाये जाने वाले त्योहार हैं ना
ज़िनमें रोनक की वजह तुम रहते हो
उनमें याद तुम्हारी ही संभाली है ..

वो जो बालकोनी में सूनापन है ना
वो जो घर के कोने खाली से हैं ना
उनमें जगह तुम्हारी ही खाली है ..
वो जो बीच की दूरियां सी हैं ना
वो जो थोडी बहुत मजबूरियां सी हैं ना
उनमें याद तुम्हारी ही संभाली है ..
😊😊

10 thoughts on “जगह तुम्हारी ही खाली है ..”

Leave a reply to Deepti Cancel reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.