खूब सुंदर सी दिखी वो मनचली
जो रोज सिकुड़ती है अपने आंचल तले,
मैंने पूछा आखिर बात क्या है?
कहती चलो कहीं बाग में चलें..
रती भर ही बैठी वो पास मेरे,
जो लगती रही बुझी सी हर सांझ सवेरे..
खुशनुमा आंखों की रंगीनियां
मुसकुराते होंठों की बेचैनियां,
आज मैं पढ़ सकता था..
पर फिर भी पूछा,
आखिर बात कया है?
सुनो..आज डेट है मेरी,
किसी स्पैशल के साथ..
मैं बेचैन सा होकर पूछ बैठा,
अरे कौन है वो?
मैं हूं ना,
डेट है मेरी, मेरे अपने साथ..
मैं और सिरफ मैं..
हां आज डेट है मेरी,
डेट है मेरी, मेरे अपने साथ..
मैं मेरे लिये स्पैशल,
हां आज डेट है मेरी
डेट है मेरी, मेरे अपने साथ..!!
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