दिनचर्या का हिस्सा

ठंडी-ठंडी हवा और मिट्टी की सोंधी खुशबू
उपर से तेरे कदमों की आहट
और मेरा खिडकी से झांकना ..

तुम्हारा दहलीज पर दस्तक देना
और मेरा भाग कर चले आना ..

खामोश रह कर बहुत कुछ कह जाना
और कहते हूए खामोश होना ..

अब कुछ इस तरह दिनचर्या का हिस्सा है
मानो तो खूबसुरत एहसास
ना मानो तो अनसूना किस्सा है ..

15 thoughts on “दिनचर्या का हिस्सा”

  1. वाह।बेजोड़ लिखा है।
    जिंदगी खट्टे,मीठे अहसासों का पुलिंदा है,
    तू है तो जिंदगी,तू नहीं तो यादें जिंदा है।।
    तेरा एक दर्शन
    अनगिनत ख्वाब जगा जाते हैं,
    पास आते तो आंखें,
    शरमा जाते हैं,
    कोई कुछ पूछे तो
    अधरों पर तेरे नाम
    आ जाते हैं,
    खुद से करूँ सवाल,तूँ कौन कैसी चिंता है,
    तू है तो जिंदगी,तू नहीं तो यादें जिंदा है।।

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      1. आपकी कविता बेमिशाल है।बहुत बहुत बहुत ही बढ़िया।सुक्रिया आपका।

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