माओं से जन्नत हैं घर

जिन माओं से जन्नत हैं घर
उन माओं को सलामत रखना खुदा ..

जिन माओं से जन्मी ज़िन्दगियां
उन माओं को लम्बी उम्र देना सदा ..!

बचपन में जो ऊंगली पकड़ चलना सिखाती
वो भी एक रुप “माँ ” का ..

लड़ते झगड़ते जब बीतता बचपन
जो रिश्ते में “बहन ” कहलाये
वो भी एक रुप “माँ ” का ..

बड़े प्यार से जो घर आंगन संभालती
जो रिश्ते में पत्नी /बहु कहलाये
वो भी एक रुप “माँ ” का ..

कितने नाजों से ज़िसे हो पालते
जो रिश्ते में “बेटी ” कहलाये
वो भी एक रुप “माँ ” का ..

कितने रूपों में है “लक्ष्मी ” आयी
हर लक्ष्मी को “लक्ष्मी माँ ” का नाम दिया एे खुदा ..

जिन माओं से जन्नत है घर
उन माओं को सलामत रखना सदा ..

ना रहे मोहताज कोई माँ एक दिन के सम्मान की
सम्मान मिले और हर दिन हर पल का मिले
हर दीवार मिट जाये एे खुदा अब अग्यान की ..

दर्द में भी मुस्कुराना होती है ज़िसकी अदा
उन माओं को सलामत रखना एे खुदा ..

जिन माओं से जन्नत हैं घर
उन माओं को सलामत रखना खुदा ..

जिन माओं से जन्मी हैं ज़िन्दगियां
उन माओं को लम्बी उम्र देना सदा …..!!!

Pic credit : Google

16 thoughts on “माओं से जन्नत हैं घर”

  1. मेरी आंसुओं को
    आंचल में पिरोती है
    माँ संसार मे
    सबसे अनमोल होती है
    इस माँ के लिए सिर्फ एक दिन???
    मैं किन शब्दों में बयान करूँ
    माँ – क्या होती है????

    “जिसके जीवन माँ नहीं उस से पूछो माँ – क्या होती है”

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  2. मंजिल दूर और सफ़र बहुत है…
    छोटी सी ज़िन्दगी की फिकर बहुत है…
    मार डालती ये दुनिया कब की हमे…
    लेकिन ‘माँ’ की दुआओं मैं असर बहुत है!!☺

    Liked by 2 people

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